हर दीपक कुछ न कुछ सिखाता है, कड़बी लेकिन सत्य बातें !
काफी दिनों से एक आवाज कानों पर लगातार पड़ रही थी, “कचरा दे दो, कचरा वाला आया है” |
आज सुबह उठा तो ऐसा ही हुआ, बाहर निकल कर देखा तो मेरी गली में तीन कचरा गाड़ी खड़ी थी तभी अचानक ध्यान आया कि दिवाली आने वाला है, लोग घर की सफाई में लग गए हैं |
फिर मैं वापस काम-धाम में लग गया, ऑफिस जाने के लिए जब गाड़ी निकाल रहा था, तो अचानक जोर जोर से आवाज आई, पता चला पड़ोस में कोई दो आपस में लड़ रहे थे, नजदीक जाकर कहानी जानी तो पता चला कि बस मामूली सी गाड़ी खड़ी करने के लिए लड़ाई हो रही है और यह वही है जो थोड़ी देर पहले अपने घर से कचरा निकाल रही थी |
तभी अचानक दिमाग में बात आ गई कि –
“लोग दिवाली के नाम पर अपने घर से तो कचरा निकाल रहे हैं पर दिल में काफी मेल जमा कर बैठे हैं”
यह सब देख कर बहुत हैरानी हुई और साथ में चिंता भी कि –
क्या हो गया हमारे समाज को ?
क्यों हम एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं कर रहे ?
क्यों क्यों हम छोटी-मोटी समझौता करने को तैयार नहीं है ?
क्यों हम सब में एक दूसरे से श्रेष्ट बनने की होड़ मची है ?
क्यों हम एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ?
पड़ोस को तो छोड़ दे, आजकल तो लोगों के घर में भी आपसी सहमति नहीं बन रही है |
लोगों ने एकल परिवार को आज का “फैशन” मान लिया है फिर क्या करेंगे कि अपने खुद के लिए हुआ फोटो जिसको “सेल्फी” भी कहा जाता है उसको सोशल मीडिया पर “#” के द्वारा पोस्ट करते हैं |
लेकिन सत्य बात बताऊं –
सेल्फी की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि आप की फ्रेम में कोई और आना नहीं चाह रहा है, आपने अभी तक कोई ऐसा काम नहीं किया कि लोग आपके साथ फोटो खिचबाएँ |
यह सत्य है कि आपका अस्तित्व बहुत कम लोगों के बीच में सिमट के रह गई है, जो की चिंता का विषय है |
पर्व मनाने से पहले उसकी अहमियत समझना ज्यादा जरूरी है| इसे पढ़ें…

दिवाली का दीपक हमें बहुत कुछ सिखाता है, वह कहता है कि अपने अंदर के अंधकार को खत्म करो, मन के बैर को मिटाओ, अपनों को अपनाओ |
वैसे भी दीप अग्नि का सबसे शुद्ध रूप है, और धरती पर केवल मनुष्य ही ऐसा है जो अग्नि पर काबू कर सकता है, पशु पक्षी तथा अन्य जीव अग्नि से डरते हैं, तो हमारा मनुष्य होना यह संकेत देता है कि हम मानवता को अपनाते हुए आगे बढ़े |
अगर आप दीपक जला रहे तो आप अपनी संस्कृति की पूजा कर रहे हैं, कई जगह दीप को लक्ष्मी से भी जोड़ा गया है, घर में दीपक जलाने का मतलब आप लक्ष्मी की आराधना कर रहे हैं इसलिए भारत में दीपक को पवित्र माना गया है |
यह पर्व सिर्फ इसलिए नहीं मनाओ की खूब अच्छे-अच्छे स्वादिष्ट भोजन का मजा ले, खूब सजावट करें, फोटो खिचबाये या फिर पटाखों का आनंद ले|
यह सब भी करें पर सबसे पहले यह संकल्प लें कि आज से अपने अंदर के अंधकार को हमेशा के लिए रोशनदार कर दे और हो सके तो अपनी रोशनी की चमक से दूसरे को भी रोशन करें |
अपने घर-परिवार, आस-पास, गली-मोहल्ले में मिठाई के साथ साथ प्यार और खुशियां भी बाटें, फिर चाहे आपकी जितनी भी सामर्थ हो लेकिन आपके आसपास कोई असहाय है तो उसे मदद करें |
अपने मिठाई के डिब्बे में से दो चार मिठाई उन्हें भी दे, अपने पटाखों की थैली में से दो चार पटाखे उनके बच्चों को भी दे फिर देखिए आपकी दिवाली में कितना रौनक आ जाता है|
याद रखें, आपकी घर की चकाचौंध सजावट आपके घर को तो रोशन कर देगा लेकिन अगर गली को प्रकाशमय करना है तो घर के बाहर एक दीपक भी रखना ही होगा |
कम से कम ऐसा करने से राहगीरों को रास्ता तो सही से दिखेगा |
आपको और आपके परिवार को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं !